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मैं इस दुनिया से और लोगों के काम करने के तरीके से सचमुच थक गई हूँ। मैं नहीं जानती कि इस दुनिया में अब कितने मानवतावादी लोग बचे हैं। जैसे ही आप किसी की मदद करना चाहते हैं, वे चाहते हैं कि आप पहले उनकी मदद करें। और ऐसा नहीं है कि ये इतना आवश्यक है; वे बस चीज़ें चाहते हैं। क्योंकि वे सोचते हैं कि वे इसके लायक हैं, उन्हें लगता है कि उन्हें ऐसा करने का अधिकार है। […] लेकिन वास्तव में, जब मैं औलासी (वियतनामी) शरणार्थियों के लिए काम कर रही थी और जब मुझे दर-दर जाकर खुद को नम्र करना पड़ा और कोई भी नहीं... मैंने बहरे कानों से बात की और ऐसी ही अन्य बातें, और इतनी सारी समस्याएं और इतनी रिश्वतखोरी, और मैं सचमुच गंभीरता से सोच रही थी कि शायद मुझे उनके लिए एक राष्ट्र बनाना होगा। […] उदाहरण के लिए, यदि हमारा अपना राष्ट्र हो, सभी वीगन हों, ध्यान करते हों, तो कोई समस्या नहीं, भागने की कोई आवश्यकता नहीं, हर कोई स्वयं दौड़ता है।(जी हाँ।) […] बात बस इतनी है कि इस दुनिया में वे इतनी सारी समस्याएं खड़ी करते हैं कि वे हमें ऐसा करने की इजाजत नहीं देते। अन्यथा, हमारे शिष्य [प्रत्येक] एक व्यक्ति को ले लेंगे। कोई बात नहीं। यहां तक कि सभी हैतीवासी, अफ्रीकी लोग, हम उन सबको ले लेंगे। कोई भेदभाव नहीं।Photo Caption: ईश्वर सभी जीवों से बहुत प्रेम करता है, इसलिए हम जहाँ भी रहते हैं ख़ुशी से फलते फूलते हैं!