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हमारी उलट पलट दुनिया: 'असि हबलाबाट्ज़लकोट (इस प्रकार क्वेट्ज़लकोट बोले)' से प्रवचन 2 का भाग 1

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"गुरु कभी भी स्वयं को श्रेष्ठ पद पर नहीं रखता है। इसके विपरीत, वह भाइयों और बहनों को अपनी उसी स्थिति तक दौड़ कराता है। गुरु केवल प्रबुद्ध करना चाहता है।"